lkaaLl 8 years ago paise kab beji ayaa heee naai :hee:
math bej iphn hee dekr do :hot: :hee:
lkaaLl 8 years ago kud rakho :hee: :hee:
muje iphn hee chai h :hee: :hee:
paise to deri thi naa wahee paise se le lo :hee:
poster ko office k samne chipa denaa :hee: :hee:
lkaaLl 8 years ago ek kam krlo :hee: :hee:
500 ka 1000 ka jithnaa h usse iphon le kr bej denaaa :hee: :hee:
lkaaLl 8 years ago mera ac p bej denaa paise :hee: :hee:
lkaaLl 8 years ago my tk b tk hu :hee: :hee:
math choro :hee:
aaao wahaa yaha kya rakhaa h :hee:
ab kyaa krti ho study yaa job?
lkaaLl 8 years ago :hee: :hee: :hee:
kysee ho ghost :hee:
miss b naai krti :hee:
nimbzz kyu naai aathi?
Girls~masti yahaa anaaaa :hee:
NashJohn24 8 years ago " ढलते दिसम्बर के साथ ही खतायें माफ़ कर देना ...,,
क्या पता जब दुबारा दिसम्बर आये तो हम ना रहे....!" ....✍♡
.
NashJohn24 8 years ago यादो_का_गलियारा -
“मुझे किसी बहुत ठंडी जगह पर रहना है तुम्हारे साथ!”
वो अपनी कंचे जैसी आँखों को चमका कर कहती
थी!
“ठीक है! वादा रहा फिर!” वो एक ठहरी सी हंसी
चेहरे पर रख कर बोलता!
उन्हें बात करते हुए सिर्फ दो महीने हुए थे! पर वक़्त
का हिसाब रखने का वक़्त उनके पास नहीं था! उन्हें
एक दूसरे से प्यार करने से फुर्सत ही नहीं थी! कुछ भी
और करने की फुर्सत नहीं थी! ज़िन्दगी के सारे
ख्वाब उन्होंने बुन डाले थे! बच्चों के नाम से लेकर,
कमरे के पर्दों के रंग तक!
“सुनो तुम घर का कोई भी फर्नीचर नहीं लाओगे!
तुम्हारा टेस्ट बहुत ख़राब है! तुम सिर्फ सब्जी लाओगे
और रोज़मर्रा का सामान! और हाँ मेरे बाथरूम में
पिंक टाइल्स और सब कुछ पिंक होगा!” किसी बच्चे
के जैसे वो इक्साईटमेंट में कहती!
“हाँ ठीक है पर मैं हमेशा तुम्हारे साथ सोऊंगा! चाहे
हम तुम्हारे घर पर रहें या कहीं भी!” “मेरे घर पर कैसे?
पापा क्या सोचेंगे?”
“अरे तो मेरा घर क्या अय्याशी का अड्डा है! मेरे
पापा कैरेक्टरलेस हैं क्या?”
छी! नहीं नहीं मतलब! ठीक नहीं लगता न! अच्छा
ठीक है गुस्सा मत करो!”
“और बच्चे हो गए तब? बच्चे तो बीच में सोयेंगे न!
नहीं तुम उन्हें अपने बगल में सुलाना! वो तुम्हारे बायी
ओर और मैं तुम्हारी दायीं ओर! मैं तो तुम्हे पकड़ कर
ही सोऊंगा बस!
अच्छा ठीक है! तुम न कसम से बहुत ही चिपकू पति
बनोगे यार!”
“हाँ तो मेरी बीवी है ही इतनी खूबसूरत!” वो ब्लश
करते हुए बोलता!
दीवानगी की हद तक चाहते थे वो एक दुसरे को!”
मोहब्बत का सिलसिला कुछ यूं परवान था जैसे कि
सदियों से जानते हो एक दूसरे को! फिर क्या... वही
सब जो अनादि काल से होता आया है! दुनिया बेहद
रंगीन, बारिशें ज्यादा गीली, हवाएं थोड़ी ज्यादा
सौंधी और गानों में मतलब थोड़े ज्यादा आ गए थे!
“वक़्त की हजारो उठा-पठक से हारे वो दोनों यूं
मिले थे जैसे कितने जन्मों से इंतज़ार कर रहे हों एक
दूसरे का! जैसे बाज़ार में खोये बच्चे को माँ-बाप
वापस मिल जाए! हालांकि उम्र के उस पड़ाव पर थे
जहां प्यार की वादियों में समझौते का कोहरा
बसने लगता है! उनका मन हर तरह के इमोशनल टर्बुलेंस के
लिए तैयार था, पहले भी वो प्यार में पड़ चुके थे, पहले
भी ये सब कर चुके थे पर इस बार बहुत ईमानदारी थी
और बेहद शिद्दत! वो दोनों जब मिले तो उन्हें पता
चला कि प्यार में पहला दूसरा नहीं, प्यार प्यार
होता है! जब होता है बराबर ख़ुशी और बर